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Tuesday, April 21, 2020

पादप जगत वर्गिकरण संबंधी लेख वनस्पति विज्ञान और उससे संबन्धित प्रश्न | एकलर (Eichler) classification 1883 botany

पादप जगत का वर्गीकरण


पादप जगत को निम्न रूप में विभाजित किया जाता है

थैलोफाइटाः शैवाल, कवक और बैक्टीरिया जैसे सूक्ष्म जीवाणुओं के प्रकार को इस श्रेणी में रखा जाता है। शैवाल को तीन श्रेणियों में बांटा जाता है–लाल, भूरा और हरा शैवाल।


शैवाल की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

शैवाल की कोशिका भित्ति सेल्यूलोज की बनी होती है।
शैवाल के जननांग एककोशिकीय होते हैं।
शैवाल अपने  भोजन को स्टार्च के रूप में संचयित करता है।
प्रजननः वानस्पतिक (Vegetative), अलैंगिंक (Asexual) और लैंगिक प्रजनन (Sexual) तरह से |

आर्थिक महत्वः यह खाद्य सामग्रियों, कृषि, व्यापार एवं व्यवसाय, जैविक अनुसंधान, घरेलू पशुओं के चारे और दवाओं के निर्माण में उपयोगी होता है। लेकिन कई शैवाल प्रदूषक का काम करते हैं और पेयजल को दूषित कर देते हैं। इसके अलावा, पानी के कई उपकरण शैवाल की वजह से बेकार हो जाते हैं। चाय के पौधों में सेल्फ़ालिओरस (Celphaleuros) शैवाल के कारण ‘रेड रस्ट’ नामक रोग हो जाता है |

ब्रायोफाइटाः     पौधे जमीन और पानी दोनों में पाए जाते हैं लेकिन लीवर वार्ट्स, हॉर्न वार्ट्स, मॉस (Moss) आदि की तरह उभयचर होते हैं। ये पौधे भी स्वपोषी होते हैं, क्योंकि इनमें क्लोरोप्लास्ट पाया जाता है।

आर्थिक महत्वः इन पौधों में पानी को अवशोषित करने की अच्छी क्षमता होती है और इसलिए इनका प्रयोग बाढ़ को रोकने के उपाय के तौर पर किया जा सकता है। साथ ही इसे मिट्टी के कटाव को रोकने में भी इस्तेमाल किया जाता है। मॉस पौधे को इस्तेमाल पीट ऊर्जा नाम के ईंधन और एंटीसेप्टिक के तौर पर भी किया जाता है।

ट्रैकियोफाइटाः इन पौधों में संवहनी ऊतकों का अच्छा विकास होता है और वे जाइलम और फ्लोएम में विभाजित होते हैं। ट्रैकियोफाइटा निम्नलिखित तीन उपसमूहों में विभाजित किए जाते हैं– टेरिडोफाइटा, जिम्नोस्पर्म और एंजीयोस्पर्म।

(क) टेरिडोफाइटाः इन पौधों में बीज और फूल नहीं पाये जाते हैं। जैसेः क्लब मॉस, हॉर्सटेल्स, फर्न आदि

गुणः

ये पौथे स्पोरोफाइट होते हैं, क्योंकि इन पौधों के स्पोर्स स्पोरैंजिया में उत्पादित होते हैं।
जिन पत्तों में स्पोरैंजिया बनते हैं उन्हें ‘स्पोरोफिल’ कहते हैं।
गैमेटोफाइट (Gametophyte) पर नर और मादा जननांग मौजूद होते हैं।
जीनों का प्रत्यावर्तन (Alternation) भी दिखाई देता है।
जाइगोस्पोर्स (Zygospores) जाइगोट के माध्यम से बनता है।
महत्वः ये पौधे घरेलू पशुओं के चारे के तौर पर इस्तेमाल किए जाते हैं, जबकि इनके बीजों का   इस्तेमाल दवाओं के तौर पर किया जाता है।

शैवाल

कवक

इनमें प्रकाशसंश्लेषक रंगद्रव्य (Photosynthetic Pigments) होते हैं।
स्वपोषी होता है।
इनमें से ज्यादातर जलचर होते हैं।
कोशिका भित्ति सेल्युलोज से बनी होती है।
भंडारित खाद्य पदार्थ के तौर पर इनमें स्टार्च होता है।
इनमें प्रकाशसंश्लेषक रंगद्रव्य (Photosynthetic Pigments) नहीं होते हैं।
परपोषी होते हैं।
इनमें से अधिकांश स्थलचर होते हैं।
कोशिका भित्ति काइटिन की बनी होती है।
भंडारित खाद्य पदार्थ के तौर पर इनमें ग्लाइकोजन और तेल होता है।
(ख) जिम्नोस्पर्मः वैसे पौधे जिनके बीज पूरी तरह से अनावृत्त (Uncoated ) हों और अंडाशय (Ovary) का पूर्ण अभाव हो जिम्नोस्पर्म कहलाते हैं। जैसेः साइकस, पाइन्स, सेड्रस (देवदार) आदि|

गुणः

ये पौधे बारहमासी और जेरोफाइटिक (Perennial and Xerophytic) होते हैं।
इनमें स्पष्ट रूप से वार्षिक वलय पाये जाते हैं।
इनमें वायु-परागण होता है और एक से अधिक भ्रूण (Polyembryony)  का गुण होता है।
एक भ्रूण में एक या एक से अधिक बीजपत्र (Cotyledons) रेडिकिल और प्लूम्यूल (Radicle and Plumule) के साथ होता है।
आर्थिक महत्वः इनका खाना, लकड़ी और दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। सजावट और घरेलू उपयोग के लिए भी ये महत्वपूर्ण हैं । वाष्पशील तेल, चमड़ा तैयार करने और रेजिन बनाने में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।

(ग)  एंजियोस्पर्मः यह पादपों का सबसे महत्वपूर्ण उपसमूह है जिनके बीज परतदार होते हैं और किसी अंग या अंडाशय में विकसित होते हैं। हमारे प्रमुख खाद्य पदार्थ, फाइबर, मसाले और पेय फसलें फूल वाले पौधे (एंजियोस्पर्म) होते हैं। इनका प्रयोग चिकित्सीय पौधों, प्रतिवादी स्वाद प्रजातियां, लेटेक्स उत्पाद जैसे रबर आदि के रूप में भी होता है। इस पौधों के तेलों का इस्तेमाल इत्र, साबुन और सौंदर्य प्रसाधन बनाने में भी किया जाता है।

गुणः

इस पौधे का प्रजनन अंग फूल होता है और इनमें दोहरा निषेचन होता है।
ये स्पैरोफिटिक, सहजीवी और परजीवी होते हैं। कुछ स्वपोषी भी होते हैं।
आमतौर पर स्थलचर होते हैं लेकिन कुछ जलचर भी होते हैं।
संवहनी ऊतक बहुत अच्छी तरह विकसित होते हैं।
एंजियोस्पर्म को भी दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है–

(अ) एकबीजपत्री (Monocot): इन वर्ग के पौधों की पत्तियां चौड़ी होने के बजाए अधिक लंबी होती हैं। एकबीजपत्री के तने में कैंबियम की कमी होती है और इसलिए सिर्फ ताड़ के पेड़ को छोड़कर इस श्रेणी के बाकी सभी पौधे बहुत कम ऊँचाई वाले होते हैं। उदाहरणः मक्का, गेहूं, धान, प्याज, गन्ना, जौ, केला, नारियल आदि|

गुणः

इन पौधे के बीज में एक बीजपत्र (Cotyledon) पाया जाता है।
इनकी पत्तियाँ समानांतर शिरा-रचना (venation) वाली होती हैं।
इन पौधों की जड़े अधिक विकसित नहीं होतीं।
फूल बहुत बड़े होते हैं, यानि तीन या तीन के गुणक में पंखुड़ियां होती हैं।
संवहनी भाग में, कैंबियम मौजूद नहीं होता है।


(ब) द्विबीजपत्री (Dicot)  :इन पौधों में दो बीज पत्री होते हैं। सिरे उनकी पत्तियों का जाल बनाते हैं। इसमें सख्त लकड़ी वाले पौधों की सभी प्रजातियां, दालें, फल, सब्जियां आदि आती हैं। जैसे– मटर, आलू, सूर्यमुखी, गुलाब, बरगद, सेब, नीम आदि।

गुणः

–इन पौधों के बीज में दो बीजपत्र पाए जाते हैं।

–संवहनी हिस्से में कैंबियम होता है।

–पौधे के फूल में चार या पांच के गुणक में पत्तियाँ होती हैं।

-इन द्विबीजपत्री पौधों में द्वितीयक वृद्धि (Secondary Growth) पायी जाती है।


आवृतबीजी Angiosperms


इस उप-प्रभाग के अन्तर्गत उन पौधों को सम्मिलित किया गया है जिनमें बीज सदैव फल के अंदर होते हैं। ये शाक (herbs), झाड़ियाँ (shrubs) तथा वृक्ष (Tree) तीनों प्रकार के होते हैं। आवृतबीजी पौधों के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं-

इनमें प्रजनन अंग पुष्प होता है।
इनमें दोहरा निषेचन (Double fertilization) दृष्टिगत होता है।
ये मृदोपजीवी (Saprophyte), परजीवी (Parasite), सहजीवी (Symbiotic), कीटभक्षी (Insectivorous) तथा स्वपोषी (Autotrophs) के रूप में पाए जाते हैं।
ये सामान्यतया स्थलीय पौधे होते हैं, लेकिन कुछ पौधे जल में भी पाये जाते हैं।
इनमें संवहन तंत्र अति विकसित होता है।
वर्गीकरण: आवृतबीजी पौधों को दो मुख्य वर्गों में विभाजित किया गया है—

एकबीजपत्री (Monocotyledonae) तथा
द्विबीजपत्री (Dicotyledonae)
एकबीजपत्री के प्रमुख लक्षण-

इनके बीजों में केवल एक बीजपत्र (Cotyledon) उपस्थित होता है।
इनकी जड़े प्रायः अधिक विकसित नहीं होती हैं।
इनके पुष्पों के भाग (Floral parts) तीन या उसके गुणांक होते हैं।
इनके संवहन पूल में कैम्बियम (Cambium) नहीं पाया जाता है।
एकबीजपत्री के कुछ महत्वपूर्ण कुल और पौधे:

कुल का नाम प्रमुख पौधों के नाम (वानस्पतिक नाम)
1. लिलीएसी (Liliaceae) लहसुन (Allium sativum), प्याज (Allium cepa) सतावर (Asparagus racemosus) आदि।
2. ग्रेमिनी (Graminae) गेंहूँ (Triticum aestivum), मक्का (Zea mays), चावल (Oryza sativa), गन्ना (Saccharum officinarum), ज्वार (Sorghum vulgare), बाजरा (Pennisetum typhoidenus), बांस (Bambusa arundinaceae) दूब घास (Cynodon dactylon), जौ (Hordeum vulgare) जई (Avena sativa).
3. पाल्मी (Palmae) नारियल (Coccus nucifera), ताड़ (Borassus flabeIIifer), सुपारी (Areca catechu), खजूर (Phoenix dactylifera) आदि।
4. म्यूजेसी (Musaceae) केला (Musa paradisica)




द्विबीजपत्री के प्रमुख लक्षण:



इनके बीजों में दो बीजपत्र पाये जाते हैं।
इनके संवहन पुल में कैम्बियम पाये जाते हैं।
इनके पुष्पों के भाग (Floral parts) चार या पांच के गुणांक में होते हैं।
इनमें द्वितीयक वृद्धि (Secondary growth) पायी जाती है।
इनकी पत्तियों में जालिकावत शिराविन्यास होता है।
इनमें पाया जाने वाला संवहन बंडल वलयाकार रूप में व्यवस्थित रहता है।
इनका जड़ तंत्र अधिमूल (root cap) एवं उसकी शाखाओं के साथ फैला रहता है।
द्विबीजपत्री के महत्वपूर्ण कुल और पौधे:

कुल का नाम पौधों के नाम (वानस्पतिक नाम)
1. क्रूसीफेरी (Cruciferae) मूली (Raphanus sativus), शलगम (Brassica rapa), सरसों (Brassica compestris), फूलगोभी (Brassica oleracea) आदि।
2. मालवेसी कपास (Gossypiumherbaceum), भिण्डी (Hibiscus esculantus), (Malvaceae), गुड़हल (Hibiscus rosa sinensis) आदि।
3. लेग्यूमिनेसी (Leguminaceae) कत्था (Acacia catechu), मटर (Pisum sativum), अरहर (Cajanus cajan), मूंगफली (Arachis hypogaea), सेम (Dolichos Iablab), सोयाबीन (Glycine max), अमलतास (Cassia fistula), गुलमोहर (Delonix regia), इमली (Tamarindus indica), बबूल (Acacia arabica), लाजवंती (Mimosa pudica), अशोक (Saraca indica), शीशम (Delbergiasisoo), चना (Cicerarietinum), मूंग (Phaseolus mungo), नील (Indigofera tinctoria) आदि।
4. कम्पोजिटी (Compositae) सूरजमुखी (Helianthus annus), सलाद (Lactuca sativa), जिनिया (Zinnia elegans), जंगली भंगरा (Tridaxprocumbeans), गुलदाऊदी (Chrysanthemum indicum), गेंदा (Tagetes patula) आदि।
5. रुटेसी (Rutaceae) नींबू (Citrus aurantifolia), संतरा (Citrus reticularia), मुसम्बी (Citrus sinensis) आदि।
6. कुकर बिटेसी
(Cucurbetaceae)

तरबूजा (Citrullus vulgaris), खरबूजा (Cucumis melo), कद्दू (Cucurbita maxima), परवल (Trichosanthes diocia) आदि।
7. रोजेसी
(Rosaceae)

सेब (Pyrus malus), नाशपाती (Pyrus communis), गुलाब (Rosa centifolia), रसभरी (Physalis peruviana), आदि।
8. मिरटेसी (Myrtaceae) अमरुद (Psidium guava), यूकेलिप्टस (Eucalyptus globulus), जामुन (Syzygium cumini), मेहंदी (Lawsonia inermis) आदि।
9. अम्वेलीफेरी (Umbelliferae) धनिया (Coriandrum sativum), जीरा (Cuminum cyminum), लौंग (Syzygium aromaticeum), सौंफ (Foeniculum vulgare), गाजर (Daucus carota) आदि।
10. सोलेनेसी (Solanaceae) आलू (Solanum tuberosum), बैंगन (Solanum melongena), लाल मिर्च (Capsicum annum), तम्बाकू (Nicotiana tabaccum), टमाटर (Lycopersicum esculantum), बैलाडोना (Atropa belladona), धतूरा (Datura stramonium) आदि
11. रेननकुलेसी
(Ranunculaceae)

बटरकप (Ranunculus scleratus), काला जीरा (Nigella sativa)
नोट:

आवृत्तबीजी का अर्थ ‘ढका हुआ बीज’ होता है।
आवृत्तबीजी (Argiosperm) पादप जगत का सबसे बड़ा समूह है।
मनुष्य को अfधकांशr आवश्यकतrआों की पूतिं आवृत्तबीजी पौधों (Angiospermic Plants) से ही होती है।
आवृत्तबीजी पौधों में भोजन का संचय या तो भ्रूणपोष (Endosperm) या बीज पत्रों (Cotyledons) में होता है।
कुकरबिटेसी को सब्जी कुल कहा जाता है।
बेलाडोना एक औषधि है जिसका उपयोग सिरदर्द, निद्रा लाने तथr सिहरन रोकने में होता है। यह एट्रोपा बेलाडोना नामक पौधे की जड़ से प्राप्त होता है।
लौंग के तेल का प्रमुख घटक यूरेनॉल (Lranol) है जो दाँत का दद दूर करने में प्रयुक्त होता है।

1. निम्नलिखित मेसे किसे वर्गिकी का पितामह कहा जाता है
A) ऍंगलर
B) अरस्तु
C) लिनीयम
D) थियोफरेस्ट्स
Answer:- C

2. द्विनाम पध्दति के प्रतिपादन है
A) लिनीयम
B) थियोफरेस्ट्स
C) इचिंसन
D) ऍंगलर
Answer:- A

3. वर्गीकरण का प्राकृतिक सिस्टम किस वनस्पति विज्ञानी के प्रस्तुत किया था
A) भारतीय
B) जर्मन
C) स्वीडिश
D) ब्रिटिश
Answer:- B

4. पुष्पी पादपों को रखा गया है
A) क्रिप्टोगेम्स
B) फैंरोगेम्स
C) बारयोफाउट्स
D) टेरिडोफाइट्स
Answer:-B

5. अपुष्पी पादपों को रखा गया है
A) क्रिप्टोगेम्स में
B) फैंरोगेम्स में
C) बारयोफाउट्स में
D) टेरिडोफाइट्स
Answer:- A

6. वर्गीकरण की आधारीय इकाई है
A) जीन्स
B) फेमिली
C) स्पेशिज
D) आर्डर
Answer:- C

7. हाइड्रो फाइटस होते है
A) समुद्री जीव
B) जलीय पौधे
C) पादप रोग
D) ज्डविहीन पौधे
Answer:- B

8. जीवाणु की खोज किसने की
A) फ्लेमिंग
B) लेम्बल
C) टेमिन
D) ल्यूवेनहुक
Answer:- D

9. जीवानीवक कोशिकाओं में नही होता है
A) कोशिका भित्ति
B) जीवद्रव्य कला
C) राइबोसोम
D) सूत्रकनिक
Answer:- D

10. सभी कवक सदैव होते है
A) परजीवी
B) स्वपोषी
C) विविधपोषि
D) मृतोपजीवी
Answer:- C

11. जीवाणुओं की साधारण आकृति क्या होती है
A) छड़ रूपी
B) गोल
C) सर्पिल
D) कौम रूपी
ANSWER:- A

12. जो जीवाणु आकार में सबसे छोटे होते है कहलाते है
A) गोलानु
B) वाइब्रियो
C) दण्डाणु
D) स्पाइरीला
ANSWER:- A

13. एक गोल जीवाणु कहलाता है
A) वाइब्रियो
B) बैसिलस
C) कोक्स
D) स्पाइरीला
ANSWER:- C

14. एक सर्पिल जीवाणु को कहते है
A) डिप्लोकॉक्स
B) बैसिलस
C) कोकस
D) स्पाइरीलम
Answer:- D

15. पेनिसिलिन क्या है
A) विषाणु
B) शैवाल
C) कवक
D) जीवाणु
Answer:- C
16. एफला विष किसमे बनते है
A) कवक
B) जीवाणु
C) शैवाल
D) विषाणु
Answer:- A

17. लिटमस किसमे से निकला जाता है
A) हल्दी
B) सिनकोना की छाल
C) लाइकेन
D) मशरूम
Answer:- C

18. निम्नलिखित में से कौन प्रदूषण संकेतक पौधा है
A) शैवाल
B) कवक
C) लाइकेन
D) फर्न
Answer:- C

19. निम्नलिखित में से किसे जैविक खाद के रूप में प्रयुक्त किया जाता है
A) नीम
B) एजोला
C) यूरिया
D) पोटैशियम
Answer:- D

20. सबसे बड़ा बीजाण्ड किसमे होता है
A) कोकस
B) निटम
C) साइक्स
D) पाइन्स
Answer:- C

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